Forest news-अगर आप घने वनो में घूमने गए हैं तो कई जगहों पर पानी का संचयन भी देखा होगा। शायद आपके दिल में ये ख्याल आया हो कि पानी का यह जमाव प्राकृतिक है। कई बार उसे आप किसी झरने या नदी समझ कर उसकी सुंदरता का आनंद लेकर आगे बढ़ जाते होंगे। मगर आपको बता दें कि यह जमाव वन विभाग विकसित करता है। आप इसे वर्षा जल संचयन भी कह सकते हैं। इसे ही चेक डैम के नाम से जाना जाता है। इसका वीडियो भी लिंक में देख सकते हैं।
Forest news-चेक डैम क्या है चेक डैम का मतलब
कृषि में भी चेक डैम की खास अहमियत है। लेकिन हम यहां बात वनों की कर रहे हैं। वनो में एक खास मकसद से चेक डैम विकसित किया जाता है। पहले आपको बताते हैं कि चेक डैम होता क्या है। चेक चैम वह संरचना है जिसे किसी भी झरने, नाले छोटी नदी के जल प्रवाह के विपरीत दिशा खड़ा किया जाता है। वनों में इसका उद्देश्य बारिश के अतिरिक्त जल को बांधना होता है।
यह जल वन्य प्राणियों की प्यास बुझाने के काम आता है इसके साथ ही इससे भूजल का स्तर भी बढ़ता है। ऐसा पानी बरसात और बरसात के बाद भी काम आता है। वन विभाग घने वनो में ऐसे स्थलों की पहचान करता है जहां जल संचयन हो सके। जगह की पहचान करने के बाद वहां चेक चैम बनाया जाता है। झारखंड जैसे घने वन्य क्षेत्रों में चेक डैम को विकसित करने का काम बहुत तेजी से होता है।
धनबाद प्रमंडल के डीएफओ विकास पालीवाल के मुताबिक इस तरह के चेक डैम से वन्य प्राणियों और इंसान के बीच हो रहे हिंसक झड़पों पर काबू पाने में काफी मदद मिली है। प्यास से व्याकुल वन्य प्राणी घनी आबादी की तरफ बढ़ते हैं और फिर जान माल का नुकसान होता है। इस तरह के चेक डैम की वजह से वन्य प्राणी अपनी प्यास बुझाने के लिए जल संचयन केंद्रों पर ही रूक जाते हैं। झारखंड में हाथियों के झुंड कई-कई दिन तक चेक डैम पर ठहरे रहे हैं।
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