भारत में क्रिप्टो से जुड़े वित्तीय अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, और इनमें सबसे खतरनाक तरीका म्यूल खातों के ज़रिए मनी लॉन्ड्रिंग करना है। हाल ही में सामने आया एक मामला दिखाता है कि कैसे सरल दिखने वाले बैंक खाते करोड़ों रुपये विदेश भेजने के उपकरण बन जाते हैं।
केस स्पॉटलाइट: ₹10 करोड़ पाकिस्तान भेजे गए
एक सूरत निवासी ने ऑनलाइन ठगी से आई रकम को अपने व्यक्तिगत BitGet वॉलेट में भेजकर USDT (Tether) में बदला और चार महीनों में करीब ₹10 करोड़ पाकिस्तान स्थित वॉलेट में ट्रांसफर कर दिए।
ये रकम अलग-अलग म्यूल बैंक खातों के माध्यम से इकट्ठी की गई थी, जिन्हें ठग नेटवर्क ऑपरेट कर रहा था।
नेटवर्क कितना बड़ा था? ₹200 करोड़ दुबई भेजे गए
जांच में पता चला कि आरोपी छह अन्य लोगों से जुड़ा हुआ था।
सबने मिलकर लगभग ₹200 करोड़ दुबई में बैठे साइबर अपराधियों तक पहुंचाए।
इसके लिए करीब 100 म्यूल खाते इस्तेमाल हुए, जिनके KYC अधूरे थे या फर्जी दस्तावेजों पर खोले गए थे।
ये खाते लंबे समय तक बिना पकड़े चलते रहे और सिस्टम को कोई अलर्ट नहीं मिला।
सिस्टम की बड़ी चूकें: कहां गलती हुई
1. KYC कमजोर रहा
- कई खातों में उचित सत्यापन नहीं हुआ।
- कुछ खाते प्रॉक्सी यूज़र्स द्वारा संचालित थे।
2. लेन-देन की निगरानी ढीली
- नए खातों से बड़े ट्रांसफर हुए, फिर भी अलर्ट नहीं आया।
- क्रिप्टो से जुड़े पैटर्न को सिस्टम पहचान नहीं पाया।
3. असली यूज़र्स की पहचान नहीं हो पाई
- बैंक पता ही नहीं लगा सके कि खाते चला कौन रहा था।
- बेनिफिशियल ओनरशिप की जांच नहीं हुई।
अब क्या ज़रूरी है: वित्तीय सुरक्षा को मजबूत करना
क्रिप्टो और म्यूल खातों के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए बैंकों और जांच एजेंसियों को अपनी प्रक्रिया और तकनीक दोनों को बेहतर करने की जरूरत है।
बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए
AI आधारित मॉनिटरिंग
- हाई-रिस्क देशों या क्रिप्टो वॉलेट इंटरैक्शन के लिए रियल-टाइम अलर्ट जरूरी हैं।
सख्त KYC और नियमित Re-KYC
- हाई-रिस्क खातों में बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य किया जाए।
- संदिग्ध खातों का हर 6–12 महीने में दोबारा सत्यापन जरूरी हो।
जरुर पढ़ेंः संयुक्त राष्ट्र की नई साइबर अपराध संधि क्या है और यह भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
बेनिफिशियल ओनरशिप की जांच
- खाते चला कौन रहा है, इसकी गहरी जांच होनी चाहिए, खासकर बड़े ट्रांसफर में।
जियो-फ्लैगिंग और रिस्क अलर्ट
- ऐसे खातों को फ्लैग करें जो प्रतिबंधित क्षेत्रों के वॉलेट से जुड़े हों।
कानून प्रवर्तन और नियामकों के लिए
संयुक्त टास्क फोर्स
- साइबर यूनिट, FIU और RBI को मिलकर क्रिप्टो फ्लो का ट्रैकिंग मॉडल बनाना चाहिए।
क्रिप्टो एक्सचेंज की नियमित ऑडिट
- BitGet जैसी संस्थाओं को भारतीय KYC नियमों का पालन करवाया जाए।
- संदिग्ध वॉलेट की तत्काल रिपोर्टिंग आवश्यक हो।
जन जागरूकता
- नागरिकों को बताना जरूरी है कि म्यूल खाते देना अपराध है।
- बैंक खाता किराए पर देने से जेल और बड़े जुर्माने तक की स्थिति बन सकती है।


















