सावधान! चांदनी चौक में QR कोड बदलकर लूटे ₹1.40 लाख: ‘Vettaiyan’ फिल्म देखकर बनाया था प्लान, जयपुर से मास्टरमाइंड गिरफ्तार

QR Code Fraud in Chandni Chowk
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आज के डिजिटल युग में UPI पेमेंट हमारी जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी एक छोटी सी लापरवाही आपकी जमा पूंजी को खतरे में डाल सकती है? हाल ही में दिल्ली के चांदनी चौक (Chandni Chowk) से (QR Code Fraud in Chandni Chowk) एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक नामी शोरूम में खरीदारी करने गई महिला के ₹1.40 लाख मिनटों में गायब हो गए।

QR Code Fraud in Chandni Chowk: क्या है पूरा मामला?

एक शिकायतकर्ता चांदनी चौक स्थित एक प्रतिष्ठित गारमेंट शॉप पर ₹2.50 लाख का लहंगा खरीदने पहुंची थीं। भुगतान के दौरान, उन्होंने दुकान पर लगे QR कोड को स्कैन किया और दो बार में कुल ₹1.40 लाख (90,000 + 50,000) ट्रांसफर किए।

हैरानी तब हुई जब दुकान प्रबंधन ने कहा कि उनके बैंक खाते में पैसे नहीं पहुंचे हैं। पेमेंट स्क्रीनशॉट दिखाने के बावजूद, ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड में पैसे नहीं दिखे। ठगे जाने का एहसास होने पर पीड़िता ने ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद साइबर नॉर्थ पुलिस स्टेशन में BNS की धारा 318(4)/319/340 के तहत FIR (No. 58/25) दर्ज की गई।

पुलिस की जांच और ‘फिल्म’ जैसा खुलासा

DCP नॉर्थ राजा बांठिया और ACP विदुषी कौशिक के मार्गदर्शन में SHO रोहित गहलोत की टीम ने जांच शुरू की। तकनीकी विश्लेषण (UPI Trail Analysis) से पता चला कि पैसा दुकानदार के नहीं, बल्कि राजस्थान के एक अज्ञात बैंक खाते में गया है।

डिजिटल फुटप्रिंट्स का पीछा करते हुए दिल्ली पुलिस जयपुर पहुंची और 19 वर्षीय मनीष वर्मा को गिरफ्तार किया। पुलिस को उसके पास से 100 से ज्यादा एडिटेड QR कोड और मोबाइल फोन मिले हैं।

चौंकाने वाला खुलासा: पूछताछ में आरोपी मनीष ने बताया कि उसे QR कोड बदलने का आइडिया दक्षिण भारतीय फिल्म “Vettaiyan” के एक सीन से मिला था।

ठगी का तरीका (Modus Operandi): कैसे होता है यह फ्रॉड?

जांच में आरोपी ने बताया कि वह बेहद शातिर तरीके से काम करता था:

  1. QR कोड की पहचान: वह इंटरनेट के जरिए नामी दुकानों की पहचान करता और उनके असली QR कोड की फोटो हासिल करता।
  2. AI और इमेज एडिटिंग: आरोपी AI आधारित ऐप्स का इस्तेमाल कर असली QR कोड के पीछे छिपे बैंक अकाउंट को अपने अकाउंट से बदल देता था, जबकि देखने में QR कोड बिल्कुल असली जैसा लगता था।
  3. दुकान में प्लेसमेंट: इन जाली QR कोड्स को दुकान के स्टाफ या काउंटर तक पहुँचा दिया जाता था। जब ग्राहक इसे स्कैन करते, तो पैसा सीधे मनीष के खाते में चला जाता।

आरोपी का प्रोफाइल

  • नाम: मनीष वर्मा (19 वर्ष)
  • शिक्षा: 10वीं पास (ओपन स्कूल)
  • पता: चाकसू, जिला जयपुर, राजस्थान
  • हुनर: मोबाइल ऐप्स और डिजिटल पेमेंट का खुद सीखा हुआ तकनीकी ज्ञान।

डिजिटल पेमेंट करते समय कैसे बचें?

इस घटना से सबक लेते हुए आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • नाम की पुष्टि करें: QR कोड स्कैन करने के बाद ऐप पर आने वाले नाम (Merchant Name) को दुकानदार से जरूर कन्फर्म करें।
  • दुकानदार से पूछें: पेमेंट करने के बाद तुरंत दुकानदार से ‘पेमेंट कन्फर्मेशन’ मांगें।
  • संदिग्ध स्टिकर: अगर QR कोड किसी स्टिकर के ऊपर चिपका हुआ लगे या कटा-फटा हो, तो स्कैन न करें।
  • आधिकारिक ऐप का प्रयोग: हमेशा सुरक्षित और आधिकारिक UPI ऐप्स का ही इस्तेमाल करें

साइबर अपराधी अब फिल्मों और तकनीक का सहारा लेकर नए-नए तरीके अपना रहे हैं। दिल्ली पुलिस की इस मुस्तैदी ने एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है, लेकिन आपकी जागरूकता ही आपका सबसे बड़ा बचाव है।

क्या आपके साथ भी कभी डिजिटल पेमेंट में कोई समस्या आई है? कमेंट में हमें बताएं और इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।

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