NPCI द्वारा 8 अक्टूबर से डिजिटल भुगतान के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण की शुरुआत भारत के भुगतान सुरक्षा परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव है। आइए इस पोस्ट में इसके लाभ, चुनौतियाँ और साइबर अपराधियों द्वारा संभावित दुरुपयोग की रणनीतियाँ समझें। NPCI के इस कदम से क्या लाभ होंगे ये पहले जान लेते हैं।
NPCI के इस कदम से ये हैं फायदे
OTP से अधिक सुरक्षित
फिंगरप्रिंट या फेस रिकग्निशन जैसे बायोमेट्रिक्स को OTP या पासवर्ड की तुलना में कॉपी करना कठिन होता है, जिससे SIM स्वैप या फ़िशिंग जैसे धोखाधड़ी कम होते हैं।
- उपयोगकर्ताओं के लिए सुविधा
पासवर्ड याद रखने या OTP का इंतजार करने की ज़रूरत नहीं—प्रमाणीकरण तुरंत और सहज होता है। - मोबाइल नेटवर्क पर निर्भरता कम
कमजोर नेटवर्क वाले क्षेत्रों में OTP डिलीवरी फेल हो सकती है, वहाँ यह प्रणाली उपयोगी है। - आधार के माध्यम से समावेशी पहुंच
आधार-लिंक्ड बायोमेट्रिक्स ग्रामीण और अर्ध-शहरी उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित डिजिटल भुगतान में भाग लेने में मदद कर सकते हैं। - धोखाधड़ी की रोकथाम स्रोत पर ही
व्यापारी स्थानों पर आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली के ज़रिए बायोमेट्रिक जांच से पहचान की चोरी और अनधिकृत लेन-देन रोके जा सकते हैं।
नुकसान और चुनौतियाँ
- बायोमेट्रिक डेटा चोरी का खतरा
यदि बायोमेट्रिक डेटा लीक हो जाए (जैसे किसी डेटाबेस से), तो उसे पासवर्ड की तरह बदला नहीं जा सकता। इससे दीर्घकालिक पहचान जोखिम उत्पन्न होते हैं। - हार्डवेयर पर निर्भरता
बायोमेट्रिक स्कैनर या उपयुक्त डिवाइस की आवश्यकता होती है—जिनके पास स्मार्टफोन या बायोमेट्रिक-सक्षम POS नहीं है, वे इससे वंचित रह सकते हैं। - गलत पहचान की संभावना
त्वचा की स्थिति, उम्र या खराब सेंसर गुणवत्ता के कारण फिंगरप्रिंट मिलान में त्रुटियाँ हो सकती हैं, जिससे लेन-देन फेल हो सकता है। - गोपनीयता संबंधी चिंताएँ
केंद्रीकृत डेटा स्टोरेज या बायोमेट्रिक डेटा के दुरुपयोग से निगरानी और डेटा सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ती है। - सीमित जागरूकता और साक्षरता
जो उपयोगकर्ता बायोमेट्रिक प्रणाली से परिचित नहीं हैं, वे प्रक्रिया को समझने या उस पर भरोसा करने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं, खासकर कम साक्षरता वाले क्षेत्रों में।
साइबर अपराधी बायोमेट्रिक प्रणाली को कैसे चकमा दे सकते हैं
- स्पूफिंग अटैक
नकली फिंगरप्रिंट (जैसे सिलिकॉन मोल्ड) या हाई-रेजोल्यूशन फोटो का उपयोग कर फेस रिकग्निशन सिस्टम को धोखा देना। - रीप्ले अटैक
ट्रांसमिशन के दौरान बायोमेट्रिक डेटा को कैप्चर कर उसे दोबारा चलाकर अनधिकृत पहुंच प्राप्त करना—विशेष रूप से जब एन्क्रिप्शन कमजोर हो। - बायोमेट्रिक डिवाइस पर मैलवेयर
स्कैनर या मोबाइल ऐप्स को संक्रमित कर बायोमेट्रिक इनपुट को इंटरसेप्ट या बदलना। - इनसाइडर थ्रेट्स
नामांकन केंद्रों या व्यापारियों के कर्मचारी द्वारा संग्रहीत बायोमेट्रिक डेटा का दुरुपयोग। - सोशल इंजीनियरिंग
उपयोगकर्ताओं को धोखे से नकली डिवाइस या ऐप पर बायोमेट्रिक स्कैन करने के लिए प्रेरित करना, जिससे डेटा चोरी हो सके। - डेटाबेस ब्रेच
केंद्रीकृत बायोमेट्रिक रिपॉजिटरी (जैसे आधार-लिंक्ड सिस्टम) को निशाना बनाकर पहचान डेटा चुराना और उसका दुरुपयोग करना।
धोखाधड़ी की रिपोर्ट तुरंत करें
http://cybercrime.gov.in पर या 1930 पर कॉल करें।
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