kolkata police का खास मॉडल साइबर अपराधियों पर पड़ रहा है भारी जानिए आंकड़े

kalkata police का खास मॉडल साइबर बदमाशों पर भारी पड़ रहा है। kolkata police का यह खास मॉडल क्या है ? इससे साइबर अपराध में क्या फर्क आया है इस पोस्ट में जानते हैं।

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kalkata police का खास मॉडल साइबर बदमाशों पर भारी पड़ रहा है। kolkata police का यह खास मॉडल क्या है ? इससे साइबर अपराध में क्या फर्क आया है इस पोस्ट में जानते हैं। साथ ही यह भी जानते हैं कि kolkata police का खास मॉडल दूसरी जगह कैसे फायदेमंद हो सकता है।

kolkata police साइबर क्राइम पर जीत के आंकड़े

  • मासिक नुकसान में कमी: 2024 में ₹22 करोड़/माह से घटकर 2025 में ₹16.5 करोड़/माह—जागरूकता और सतर्कता का ठोस परिणाम।
  • रिकवरी दर में सुधार: 2024 में 9.5% से बढ़कर पिछले 7 महीनों में 19.5%, एक माह में 30% तक की रिकवरी।
  • समर्पित रिकवरी ढांचा: लालबाजार में विशेष रिकवरी सेल की स्थापना, डिवीजनल साइबर सेल्स द्वारा चोरी गए धन की ट्रैकिंग और वापसी।
  • नेतृत्व की प्राथमिकता: कमिश्नर मनोज वर्मा द्वारा पीड़ितों की धन वापसी को प्राथमिकता दी गई, साइबर पुलिस स्टेशन का पुनर्गठन और मासिक क्राइम कॉन्फ्रेंस की शुरुआत।
    अन्य राज्यों के लिए रणनीतिक सबक
  1. संस्थागत प्रतिबद्धता:

साइबर अपराध से धन वापसी को तकनीकी चुनौती नहीं, बल्कि नेतृत्व की प्राथमिकता बनाना होगा। कोलकाता की तरह नियमित समीक्षा और विभागीय समन्वय से जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकती है।

  • नागरिक-केंद्रित जागरूकता:
    • कोलकाता की सफलता निरंतर जागरूकता अभियानों से आई है। क्षेत्रीय भाषाओं और द्विभाषी सामग्री के साथ इसे दोहराना नागरिकों को सशक्त बना सकता है।
    1. रिकवरी-प्रथम दृष्टिकोण:
    • केवल FIR और गिरफ्तारी पर ध्यान देने के बजाय, धन वापसी को प्राथमिकता देना जनता का विश्वास बढ़ाता है और ठोस परिणाम देता है।
    • अधिकारियों को डिजिटल फॉरेंसिक और बैंकिंग ट्रेसबैक में प्रशिक्षित करना आवश्यक है।
    1. तकनीक-सक्षम पुलिसिंग:
    • 100+ बैंक खातों और 20 राज्यों में फैले फ्रॉड को ट्रैक करना AI आधारित टूल्स और अंतरराज्यीय डेटा साझाकरण की मांग करता है।
    1. अकादमिक साझेदारी:
    • WBNUJS द्वारा क्रिमिनोलॉजी में पीजी कोर्स की शुरुआत पुलिस-अकादमिक सहयोग का संकेत है।
      एक सुरक्षित डिजिटल भारत की ओर
      यदि यह मॉडल राज्यों में क्षेत्रीय अनुकूलन, अधिकारी कल्याण और नागरिक सशक्तिकरण के साथ दोहराया जाए, तो भारत का ₹30,000 करोड़ वार्षिक साइबर अपराध नुकसान काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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