वो कहते हैं कि मुर्गे से चार बातें जरूर सीखें। पहला कि मुर्गा रोजाना ब्रह्म मुर्हुत में उठ जाता है। 

अगर आप भी जीवन में सफल होना चाहते हैं तो रोजाना ब्रह्म मुर्हुत में जगें। इससे आपके पास कार्य करने के लिए पर्याप्त समय होगा। अतिरिक्त समय मिलेगा तो अतिरिक्त कार्य या पढ़ाई हो सकती है।

मुर्गा युद्ध के लिए सदैव तैयार रहता है। कार्य करने के लिए आपको हमेशा तैयार रहने की जरूरत है। अगर आलस करते हैं तो आप पीछे रह सकते हैं।

आचार्य चाणक्य ने मुर्गे की तीसरी आदत के बारे में जिक्र करते हुए कहा है कि उसकी आदत होती है बंधुओं को समान हिस्सा देने की। शास्त्रों में निहित है कि देव और भाई के हिस्से का गबन नहीं होना चाहिए।

मुर्गे की चौथी आदत डटकर खाना है। व्यक्ति को डटकर खाना चाहिए। इससे व्यक्ति बलिष्ठ होता है। स्वस्थ मन और तन के रहने से आदमी अपना कार्य उत्साह से करता है।